सुना है हर शाम के बाद सुबह होती है
हर शिकस्त के बाद जीत भी आती है
दर्द के चार पलों के बाद, किस्मत
दो पल मरहम भी लगाती है
इस बन्दे पर रहमत करना मौला
इबादत को जाने ना देना ख़ाली
इंतज़ार है उस सुबह को देखने की
जब ज़िन्दगी में कोई ख्वाहिश न हो बाकी
हर शिकस्त के बाद जीत भी आती है
दर्द के चार पलों के बाद, किस्मत
दो पल मरहम भी लगाती है
इस बन्दे पर रहमत करना मौला
इबादत को जाने ना देना ख़ाली
इंतज़ार है उस सुबह को देखने की
जब ज़िन्दगी में कोई ख्वाहिश न हो बाकी